समाजवाद की नूरा कुश्ती

का ज़माना आ गयो भाया, समाजवादियों की नूरा कुश्ती ने तो कार्टून चैनलों के टी आर पी की वाट लगा दी . वैसे भी वर्ष के प्रथम माह में कार्टून चैनल देखने वालो विदेश यात्रा पर चले जाते हैं , वो भी बिना किसी पूर्व सूचना के . बेचारे चैनल वाले , उनकी स्थिति तो सांप छछुंदर वाली हो जाती है . बचे – खुचे उस राशि वाले नूरा कुश्ती देखने में मस्त हैं , बेचारी पब्लिक ए टी एम् की लाइन से त्रस्त है . समाजवादियों ने तो एकता कपूर के बिजनेस को बहुत ही नुकसान पहुंचाया है . उस बिचारी के सास बहू वाले सीरियल अब कोई देखना ही पसंद नहीं कर रहा है . वाह रे समाजवाद ! जब कभी पीछे मुड़ के देखना पड़ा तो अपनी कौन सी तश्वीर देखेगा ? लग तो ऐसे रहा है कि गांधारी का श्राप फलीभूत होने का समय निकट आ गया है .

साढ़े चार वर्ष तक प्रदेश के विकास प्रवाह को बाधित कर अपनी झोली भरने वालों को अब यत्र तत्र कमी नजर आने लगी है . कमी शायद अपने अपने हिस्से आने वाले लूटतंत्र के फल को उचित मात्रा में न पहुँच पाने की है . लग तो ऐसा रहा है कि सहानभूति अर्जित करने की कोई रणनीति बनी थी जिसे किसी भेदिये ने उजागर कर दी . तभी तो एक समाचार चैनल उसे भी भुनाने में लग गया . उस  चैनल वाले ने खबर चला चला के सब गुड़ गोबर कर दिया . अंदर आओ , बाहर जाओ किसी नए खेल का एक प्रारूप बन गया . इस खेल में गणित के सारे मानक फेल हो गए . ३ माह में ३ बार  6 – 6 वर्ष के लिए बाहर ,फिर अन्दर , नौटंकी भी मैदान छोड़कर कबड्डी कबड्डी खेलने लगी है . कब कौन कहाँ और किसके लिए आत्मघात करने को तैयार मिले , पुलिस के लिए भी परेशानी का सबब बन चुका है . समर्थक भी बिचारे नरभसा गए हैं . वे भी यह समझ पाने में असमर्थ हैं कि बाप की जय बोलें या बेटे की . कहीं एक की जय सुनकर दूसरा नाराज न हो जाय , उन्हें इसका डर हर वक्त बना रहता है .

सुना है प्रदेश की राजधानी में मकान पर कब्जा करने वालों का हुजूम निकल पड़ा है . दूसरों द्वारा अर्जित की हुई मिल्कियत हथियाने में भला कौन पीछे रह सकता है . वैसे भी इस प्रदेश का यह बहुत पुराना खेल है . मतलब यह कि एक बार फिर इतिहास उसी राह पर खड़ा दिखाई दे रहा है . परिवारवाद कहें या साम्राज्यवाद , अरे नहीं समाजवाद का यह नया चरित्र , नए वर्ष में नए उत्साह से ओत – प्रोत होकर नयी ऊर्जा से लबरेज है , ऐसे में कुछ तो होना ही है . पंचर साइकिल की लड़ाई जारी है . अब या तो धोबिया पछाड़ दांव लगाने वाले कुछ कर दिखाएँ , नही तो मार्गदर्शक मंडल वाली रामनामी धारण कर तुलसी की माला लेकर राम नाम का जाप करे . हम तो दर्शक की भूमिका निर्वहन के लिए नए वर्ष में तैयार बैठे हैं . आप भी आइये , आपका स्वागत है .

 

  • जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

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